देशप्रेमी
होती
सबसे प्यारी
सबसे न्यारी
माँ हमारी
चलाती
हाथ पकड़ वो
सुनाती
लोरी
खिलाती
हलुआ पूरी वो
बजा है
आज डंका
स्वदेशी का
है मौका
कर्ज उतारने का
अपनाना है
स्वदेशी को
बनना है
सबके स्नेही
न आये
कोई संकट
देश समाज
परिवार पर
हो जब बंधे
एकता की
डोर में
हैं कारगर
अस्त्र शस्त्र
स्वदेश हमारे
चाहे हो
कोरोना या
शत्रु कोई भी
करते नमन
हमारे यौद्धाओं को
जो है
डाक्टर नर्स
सफाई कर्मी
और
सैनिक हमारे
हैं तैनात
देश के अंदर और
सीमाओं पर
स्वलिखित लेखक
संतोष श्रीवास्तव भोपाल