देशज भाषाएँ
।। देशज भाषाएँ ।।
पराई, विदेशी भाषाओं की
अजब विदेशी ही शान है।
एक-एक अकेला अक्षर
वैयक्तिकता का गान है।
पर हमारी देशज भाषाएँ
अनुपम अतुल्य वरदान हैं ।
इनके शिरोरेखा युक्त शब्द
हमारे संस्कारों की जान हैं ।
साथ निभाया अब तक
बहुत बड़ा अहसान है।
मेजबान हम उसके पर
वे तो केवल मेहमान हैं ।
मगर एकता युक्त शब्द
हमारी सच्ची पहचान हैं ।
।।मुक्ता शर्मा त्रिपाठी ।।