देव भूमि – हिमान्चल
डाo अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
देव भूमि – हिमान्चल
विस्मृत न होइये मेरी प्रस्तुति मेरे अनुभव से जुडी है | इसका समग्र अनुभव मेरा स्वयं का अनुभव है कोई सुनी सुनाई कथा ये नहीं है | देवियो सज्जनो – आप इस संस्मरण को पढ्ने के उपरान्त यही कहेंगे – बाकी में हिमाम्चल को देव भोमी का दर्जा न्यायोचित ही है | देव भूमि कहने का मूल्यांकन आप स्वयं इस प्रकार से कर सकते है इसको हम 10 भिन्न भिन्न कोणों से परखते है यदि आपको उचित लगे तो आप मुझे हिमांचल को ये संज्ञा देने के लिए बधाई भी दे सकते है अन्यथा एक अबोध बालक के मन का वहम मान कर भूल सकते हैं |
१ क्या आपने हिमांचल प्रदेश की यात्रा अभी १ या 2 साल के अन्दर अन्दर की है – तो आप ये स्वीकार करेंगे की हिमांचल में सबसे अधिक पर्यटक आते हैं जिसका सीधा सा कारण यहाँ की जलवायु में शुधता देवत्व व प्रेम और शान्ति का अनुभव एक देव स्थान पर यही सब बातें सबसे अधिक सार्थक धनात्मक उर्जा को परिलक्षित करती हैं तभी तो देव उस मन्दिर उस स्थान को अपना प्रिय निवास मानेगे |
2 यदि आप ४ दिन से अधिक हिमांचल में रुक गए और आपको स्थानीय लोगों से मिलने जुलने का मौका मिला ( वो तो निश्चित मिलेगा ही ) तो आप उनके भोलेपन में आतिथ्य में प्रेम में पड् ही जाओगे और आपका हिमांचल से बापिसी का मन करेगा ही नहीं मन्दिर , देव स्थल या धार्मिक स्थानों की सबसे बडी पहचान यही होती है के वहाँ से जाने का मन ही नही होता, हाँ मजबूरी अलग बात है |
३ तीसरी और सबसे महत्व पूर्ण बात ये है कि यहाँ के रमणीय पर्वत श्रंखलायें – इनपर दिन ३०० – ३०० बार धूप छांव छुप्पन छुप्पाई खेलती रह्ती है आप एक टक बस विस्मृत नयनो से इनको देखते ही रह जाओगे , लेकिन ध्यान रखना यदि आप अपनी गाडी में हो तो गाडी एक साइड में रोक कर ही इस दृश्य का मजा लिजिये अन्यथा – कोई दुर्घटना हो सकती है हहहहहः |
४ यहाँ के देव स्थान एक अनुमान के हिसाब से सम्पूर्ण हिमांचल में कोई ७००० देव स्थान होंगे मेरे ख्याल से समग्र भारत में व सम्पूर्ण विश्व में भी किसी देश में नही होंगे ( हो सक्ता है मै गलत भी होऊँ ) अनुमान हैं मगर मेरा जो मैने देखा जाना | और सबसे बडी पहचान एक देव भूमि की यही होती है |
५ नदियाँ – यहाँ की नदियाँ – ओह राम जी सतलुज , व्यास, चिनाब , रावी , यमुना दोनों इन्डूस एंड गेंजेस उद्गम यहाँ देवत्व को स्थापित करने में कोई कोर कसर नही छोड़ते हैं – इनमें स्नान करके आप स्वयम् को भाग्यशाली मान सकते हैं
6 और एक विशेष बात यहाँ का जल जल भी ऐसा की सभी प्राकृतिक जडीबुटी युक्त औषधि गुणों से भरपूर जिसे पीकर मनुष्य की आधी व्याधि तो स्वयं के स्वयं ही ठीक होने लगती है |
७ इतनी सब बातें जान कर पढ कर आप का अनुमान शायद अब भरोसे में बदलने लगा होगा और हो भी क्युं न ये कोई कपोल कल्पित बातें नही है स्वयं मेरे अपने नयनो से देखी भाली मेरे हिमांचल के आ . ललिता बहन जी के आव्हान पर उनके परिवार के साथ साथ् व आ शीला बहन जी व उनके पति के साथ् ये सब स्वयं उन्होने मुझे दिखाया अनुभव को प्रत्यक्ष रुप से अब आए सभी वहाँ के निवासी है इनका कथन तो आपको हिमांचल को देव भूमि मानने में कोई शक् न रहने देगा |
८ हिमांचल को देव स्थान कहने में मेरे अपने अनुभव से एक बात और सिद्ध करती है और वो है यहाँ की साफ सफाई व सौन्दर्य कदम कदम पर ये बात आप महसूस करेंगे , मैं स्वयं अपने स्थानीय मित्रों के आव्हान पर सतलुज नदी पर बनें हिमांचल के सबसे बडे डेंम कोल डेम जिसको बनने में 6 से ७ साल लगे जो वहाँ के बिलासपुर डिस्ट्रिकट में बनाया गया है ये ६०० मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है को दिखाने के लिए ले गए | इस पहाडी इलाके में इसप्रकर की वास्तुकला इन्एजिनियरस का एक अद्भुत नमूना है | उसके सम्पूर्ण इलाके के सडको पर आस पास के गांव में सब जगह सफाई थी यहाँ तक के पहाडी के सबसे उंचे स्थान पर अन्तिम गांव बाँटबाड़ा जहाँ से शिमला साफ साफ दिखाई पड्ता है जो की मात्र 28 घरों का ग्राम है वहाँ भी कोई गंदगी नहीं | अब इससे ज्यादा देवत्व और क्या होगा |
9 सबसे महत्व की बात ये है आप किसी स्थान को किस नजर से देखतें हैं आपका नजरिया कैसा है आप की सोच केसी है यही उस स्थान को अच्छे या बुरे नम्बर देने के लिए काफी है |
10 और अन्त में मैं यही कहूंगा आप स्वयं हिमांचल का दौरा किजिये और अनायास आपके मूहं से न निकले भई वाह वाह क्या मण्डी क्या शिमला क्या कुफरी क्या बिलासपुर क्या सुन्दर नगर क्या रिवाल्सर क्या कुल्लु क्या भुन्तर मैं नाम गिनाता रहूँगा मगर आप खुद से देखेंगे तो देवत्व क अनुभव भी खुद से करेंगे –