देव दीपावली
दिव्य देव दीपावली,शरद सुधा निधि द्वार।
दमके दीपक दीप्ति से,बही ज्योति की धार।। १
लहरों में रौनक नई, मस्ती में पतवार।
गंगा दुल्हन सी सजी, कर सोलह श्रृंगार।। २
बरस रही है चाँदनी,जगमग चाँद सितार।
ज्योतिर्मय धरती गगन, जलते दीप हजार।। ३
चाँदी की-सी है दमक, हुई सुनहरी रात।
स्वच्छ सलिल सरिता सुधा,आरंजित अवदात।। ४
गंगा जी की आरती, हुआ शंख का नाद।
शिव मंत्रों के जाप से, साधक में उन्माद।। ५
काशी के हर घाट पर, जले करोड़ों दीप।
परम मनोरम दृश्य है,मोती दमके सीप।। ६
अवनी अंबर में चमक, जड़ चेतन में नूर।
कण-कण ज्योतिर्मय हुआ, जीवन से भरपूर।। ७
शिवमय ज्योतिर्मय हुआ, भक्ति शक्तिमय सर्व ।
धन्य -धन्य जीवन हुआ, पावन प्रकाश पर्व।। ८
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली