देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः। नमो नमस्ते तुल
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः। नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।। भगवान विष्णु को चार मास की योग-निद्रा से जगाने के लिए घण्टा, शंख, मृदंग आदि वाद्यों की मांगलिक ध्वनि के बीचये श्लोक पढकर जगाते हैं- उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज । उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यं मङ्गलं कुरु ॥ हे गोविंद उठिए उठिए। हे गरुड़ध्वज उठिए। हे कमलकांत निद्रा का त्याग कर तीनों लोकों का मंगल कीजिये। हे लीलाधर ,ये जगत ही आपकी लीला है,जगत के मंगल के लिए उठिए ..हमारे कल्याण के लिए उठिए , हमे अपने शरण में लीजिये .हे प्रभु उठिए … नमो भगवते वासुदेवाय’ कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी देवोत्थान, तुलसी विवाह एवं भीष्म पंचक एकादशी के रूप में मनाई जाती है। दीपावली के बाद आने वाली इस एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी ,देव उठनी एकादशी भी कहते हैं इस एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव मनाया जाता है समस्त विधि-विधानपूर्वक गाजे-बाजे के साथ एक सुंदर मंडप के नीचे शालिग्राम और तुलसी का विवाह संपन्न होता है। विवाह के समय स्त्रियां गीत तथा भजन गाती हैं..आप सभी को देवोत्थान,प्रबोधिनी,भीष्म पंचक एकादशी एवं तुलसी विवाह की हार्दिक शुभकामनायें ..🙏🙏💐💐