देवतागण और उनके सर्जक मनुष्य
मनुष्य ने अपने जीवन जैसे ही अपने बनाए देवी देवता में थोड़े साधारण चरित्र भरे तो थोड़े ऊंचे–अछू–असाधारण–weired भी, कि वे मनुष्य के सारे दुर्गुणों से लैस होते हुए भी मनुष्य से ऊंचे दिखें।
मिथक ही नहीं ऐतिहासिक और समकालीन राजा–महाराजा भी अपनी शक्ति और दंभ की रक्षा में अपने परिवारजनों और निकट के लोगों की हत्या और सत्ता–संपत्ति से बेदखली के हर दांव चलते रहे हैं।