देवकी लाला
नंद यशोदा लाड लडाएँ,
जन्में देवकी लाला!
छिप-छिप छिप माखन दही चुराए,लेकर संग सब ग्वाला।।
धीरे-धीरे सरयू तीरे,बाज रही बाँसुरिया।
राधा के संँग रास रचाए,मनमोहन साँवरिया।।
वृंदावन में धेनु चराए,नंदलाल गोपाला।
छिप-छिप माखन दही चुराए, लेकर सँग सब ग्वाला।।
मथुरा जाकर कंस सँहारे,माधव नाथ नथैया।
इक अँगुली पर गिरिवर धारे, कान्हा बँसी बजैया।।
मोर मुकुट सिर पितांबर तन,गल वैजयंति माला।
छिप-छिप माखन दही चुराए, लेकर संग सब ग्वाला।।
नीलम शर्मा ✍️