*देना प्रभु जी स्वस्थ तन, जब तक जीवित प्राण(कुंडलिया )*
देना प्रभु जी स्वस्थ तन, जब तक जीवित प्राण(कुंडलिया )
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देना प्रभु जी स्वस्थ तन, जब तक जीवित प्राण
जब आए अंतिम घड़ी, क्षण में देना त्राण
क्षण में देना त्राण, न रखना शैया जारी
रुकी-अधमरी देह, झेलना यह ही भारी
कहते रवि कविराय, अनवरत नौका खेना
जहॉं रुके मॅंझधार, वायु का झोंका देना
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त्राण=रक्षा, बचाव
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451