Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2022 · 1 min read

देख रहे हो न विनोद

तुम देख रहे हो न, विनोद!
देश में क्या हो रहा रोज़!!
ग़रीबों पर उतरता है कैसे
इन पुलिस वालों का क्रोध!!
#बहुजन_क्रांति #भंडाफोड़ #हक़
#शोषण #समाज_सुधार #दलित
#SupremeCourt #जुल्म #law
#police #torture #भ्रष्टाचार

Language: Hindi
470 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

लफ्ज़ भूल जाते हैं.....
लफ्ज़ भूल जाते हैं.....
हिमांशु Kulshrestha
पारिवारिक समस्या आज घर-घर पहुॅंच रही है!
पारिवारिक समस्या आज घर-घर पहुॅंच रही है!
Ajit Kumar "Karn"
सुन कुछ मत अब सोच अपने काम में लग जा,
सुन कुछ मत अब सोच अपने काम में लग जा,
Anamika Tiwari 'annpurna '
विषम परिस्थियां
विषम परिस्थियां
Dr fauzia Naseem shad
पश्चातापों की वेदी पर
पश्चातापों की वेदी पर
Suryakant Dwivedi
হরির গান (হরিকে নিয়ে লেখা গান)
হরির গান (হরিকে নিয়ে লেখা গান)
Arghyadeep Chakraborty
एक अजीब सी आग लगी है जिंदगी में,
एक अजीब सी आग लगी है जिंदगी में,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चुभते शूल ……
चुभते शूल ……
Kavita Chouhan
संस्कारी बच्चा-   Beby तुम बस एक साल रह लो कुॅवांरी,
संस्कारी बच्चा- Beby तुम बस एक साल रह लो कुॅवांरी,
Shubham Pandey (S P)
* सत्य,
* सत्य,"मीठा या कड़वा" *
मनोज कर्ण
तीज
तीज
गुमनाम 'बाबा'
"खामोशी की गहराईयों में"
Pushpraj Anant
24. इल्जाम
24. इल्जाम
Rajeev Dutta
गांव का घर
गांव का घर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वह कुछ नहीं जानती
वह कुछ नहीं जानती
Bindesh kumar jha
बहुजनों के हित का प्रतिपक्ष रचता सवर्ण सौंदर्यशास्त्र :
बहुजनों के हित का प्रतिपक्ष रचता सवर्ण सौंदर्यशास्त्र :
Dr MusafiR BaithA
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
Sonam Puneet Dubey
तुम शायद मेरे नहीं
तुम शायद मेरे नहीं
Rashmi Ranjan
समय अपवाद से नहीं ✨️ यथार्थ से चलता है
समय अपवाद से नहीं ✨️ यथार्थ से चलता है
©️ दामिनी नारायण सिंह
उम्मीद है दिल में
उम्मीद है दिल में
Surinder blackpen
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
कवि दीपक बवेजा
G
G
*प्रणय*
*जानो तन में बस रहा, भीतर अद्भुत कौन (कुंडलिया)*
*जानो तन में बस रहा, भीतर अद्भुत कौन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सच्चे रिश्ते
सच्चे रिश्ते
Rajesh Kumar Kaurav
भाई दूज
भाई दूज
Mamta Rani
शून्य
शून्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
सुनील गावस्कर
सुनील गावस्कर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वक्त से पहले..
वक्त से पहले..
Harminder Kaur
गीत
गीत
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...