देख रहा हूँ
221 1221 1221 122
काफि़या –नया
रदीफ:–देख रहा हूँ।
दिया गया मिसर’अ:–
तहज़ीब का ये रूप नया देख रहा हूँ।
बदले इस जमाने की हवा देख रहा हूँ।
गैरों में है शामिल अपना देख रहा हूँ।
आदाब नहीं आदमियत भी बदली है ,
तहज़ीब का ये रूप नया देख रहा हूँ।
@पाखी