Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Apr 2024 · 1 min read

देख तो ऋतुराज

रिमझिम फुहारों के गुज़रते ही, शीत की लहर का आगमन हुआ।
शरद की बर्फीली हवाओं का, हर नगर व कस्बे तक भ्रमण हुआ।
शीत के ऐसे ज़ुल्म को देखकर, यहाँ फिज़ाओं में बवाल हो गया।
ज़रा उठकर देख तो ऋतुराज, तेरा यौवन उमंग से लाल हो गया।

इस शीत ने अपनी निर्ममता से, जीव की इच्छाएँ सीमित कर दीं।
फिर से गर्म सूर्य को देखने की, सारी संभावनाऍं सीमित कर दीं।
जिस दिन पूरा सूरज दिखा, उस दिन लगा मानो कमाल हो गया।
ज़रा उठकर देख तो ऋतुराज, तेरा यौवन उमंग से लाल हो गया।

शरद ऋतु की सुबह व शाम में, बहुत अधिक अंतर नहीं रहता है।
आँखें खुलीं तो सवेरा, बंद हुईं तो अंधेरा, हर कोई यही कहता है।
ये सूर्योदय है या सूर्यास्त, हर जन के मन में यही सवाल हो गया।
ज़रा उठकर देख तो ऋतुराज, तेरा यौवन उमंग से लाल हो गया।

सैलानी शीत की स्तुति गाते हैं, जबकि कृषक भर्त्सना करता है।
क्योंकि ये एक मन में संतोष भरे, दूसरे मन में संवेदना भरता है।
शरद ऋतु अच्छी है या बुरी, ये प्रश्न एक उलझा ख़्याल हो गया।
ज़रा उठकर देख तो ऋतुराज, तेरा यौवन उमंग से लाल हो गया।

ऋतुऍं प्रकृति के बढ़ने का क्रम, इस बात का भान होना चाहिए।
प्रकृति जीव का जीवन है, तभी यथासंभव सम्मान होना चाहिए।
शरद को खुशी से विदाई मिली, ये तो स्वयं एक मिसाल हो गया।
ज़रा उठकर देख तो ऋतुराज, तेरा यौवन उमंग से लाल हो गया।

2 Likes · 68 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
View all
You may also like:
3875.💐 *पूर्णिका* 💐
3875.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
धारा ३७० हटाकर कश्मीर से ,
धारा ३७० हटाकर कश्मीर से ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
स्वयं की खोज कैसे करें
स्वयं की खोज कैसे करें
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें
हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें
gurudeenverma198
" लो आ गया फिर से बसंत "
Chunnu Lal Gupta
तन्हाई में अपनी
तन्हाई में अपनी
हिमांशु Kulshrestha
हमने माना
हमने माना
SHAMA PARVEEN
चांद सितारे चाहत हैं तुम्हारी......
चांद सितारे चाहत हैं तुम्हारी......
Neeraj Agarwal
हे नारियों खंजर लेकर चलो
हे नारियों खंजर लेकर चलो
Sonam Puneet Dubey
सोनपुर के पनिया में का अईसन बाऽ हो - का
सोनपुर के पनिया में का अईसन बाऽ हो - का
जय लगन कुमार हैप्पी
अंधेरों में कटी है जिंदगी अब उजालों से क्या
अंधेरों में कटी है जिंदगी अब उजालों से क्या
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
माँ लक्ष्मी
माँ लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
गंगा से है प्रेमभाव गर
गंगा से है प्रेमभाव गर
VINOD CHAUHAN
*वसुधैव समन्वयक गॉंधी*
*वसुधैव समन्वयक गॉंधी*
Ravi Prakash
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
Rj Anand Prajapati
जब तक साँसें देह में,
जब तक साँसें देह में,
sushil sarna
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
मेरा दिन भी आएगा !
मेरा दिन भी आएगा !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
चश्मा
चश्मा
Awadhesh Singh
वीरांगनाएँ
वीरांगनाएँ
Dr.Pratibha Prakash
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
Ranjeet kumar patre
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
शेखर सिंह
शिलालेख पर लिख दिए, हमने भी कुछ नाम।
शिलालेख पर लिख दिए, हमने भी कुछ नाम।
Suryakant Dwivedi
गुलाबों सी महक है तेरे इन लिबासों में,
गुलाबों सी महक है तेरे इन लिबासों में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
Keshav kishor Kumar
कविता -
कविता - "करवा चौथ का उपहार"
Anand Sharma
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
आज हम ऐसे मोड़ पे खड़े हैं...
आज हम ऐसे मोड़ पे खड़े हैं...
Ajit Kumar "Karn"
"सपने बिकते हैं"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...