“देख कितनी काली है”
“देख कितनी काली है “अफ्रीकन” सी”…
ये लाइन हमारे देश में कहीं न कहीं आये दिन सुननेको मिल ही जाती है… फिर छाजे वो मजाक हो या कुछ ओर
इस रंग बिरंगी दुनिया में हमारे देश में दो ही रंग महत्वपूर्ण हैं एक “गोरा” और दूसरा “काला”
यही निर्धारित करते हैं की हम सूंदर हैं या बदसूरत..और कितने सूंदर या बदसूरत, या यूं कहें “रंग” हमारे यहां खूबसूरती नापने का सबसे बड़ा “पैमाना” है….
शादी के लिये लड़की देखने जाओ तब अधिकतर लड़की का रंग सबसे पहले देखा जाता है और तो और रंग और निखार जाये इसलिये “हल्दी” की रस्म तक बना दी गई(सोने पर सुहागा)…. काले रंग का डर देखो गर्भावस्था से ही बच्चे के रंग को निखारने की तैयारी शुरू हो जाती है “केसर का दूध पिया कर,नारियल खाया कर बच्चा गोरा पैदा होगा”…. (हद है जो अभी इस दुनिया में ही नहीं आया उसे तो बख़्श दो?)
और अगर बच्चा गोरा नही हुआ और ऊपर से लड़की हुई तो ये “काला” “कलंक” का रूप ले लेता है और हो जाता है आये दिन का ” उबटन कार्यक्रम” शुरू
“नींबू शहद लगा ले,बेसन में दही मिला कर लगाया कर,
मसूर की दाल का फेसपैक लगाया कर” और न जाने कितने सलाहकार पैदा हो जाते हैं ये महसूस करवाने को की अगर किसी भी तरह तुम गोरे नहीं है तो तुम्हारा जीवन “निरर्थक”?
…. हम मंगल तक पहुंच गये लेकिन ये गोरे-काले का दंगल अब तक जारी है और मुझे नहीं लगता कभी खत्म भी होगा….किसी फ़िल्म में एक डायलॉग सुना था “लड़का चाहे कितना भी काला कलूटा हो बीवी उसे गोरी ही चाहिये” 100 प्रतिशत सच… कुछ अपवाद हो सकते हैं (क्योंकि हमने ये भी सुना है की प्यार अंधा होता है)?
गोरेपन की क्रीम का सबसे बड़ा व्यापार भी शायद हमारे देश में होता है और अब तो बेचारे लड़के भी इस दौड़ में “हैंडसम” बनने की होड़ में इस व्यापार को आगे बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं?(लगे रहो ऐसे ही विकास होगा?)
(एक 100 प्रतिशत वाला सच और बतायें “लड़के तो सांवले ही अच्छे लगते हैं सबका पता नहीं अपनी बता रही हूँ) ?
बहुत से लोग तरस जाते हैं हमसफ़र पाने को,प्यार पाने को क्योंकि वो गोरे नहीं हैं न,बहुत से लोग अपने ही घर में पक्षपात और हीन भावना का शिकार हो जाते हैं अपना आत्मविश्वास खो देते हैं क्योंकि वो गोरे नहीं हैं हरे समाज के बनाये संदेरता के पैमाने पर खरे नहीं उतरते….??
गोरा-काला
गोरा-काला
बस यही फ़िल्टर लगाते रहते हैं ज़िन्दगी की तस्वीर में(कभी बिना फ़िल्टर की DP भी लगाया करो?)
हम तो कहते हैं “इंसान” रूप में जन्म लेना ही सबसे बड़ी खूबसूरती है और इस खूबसूरती को कैसे बनाये रखना है और कैसे और निखारना है ये मन और कर्म की जिम्मदारी है जिसे ईमानदारी और बिना किसी लीपा पोती के निभाना हमारा कर्तव्य (वरना ऊपर जाकर क्या मुँह दिखाओगे राम जी को?)
जिस रंग के साथ हमारे देश में खुद के घर में ही सूंदर कहने से मन हिचकता हो उस रंग की लड़की ने आज “ब्रह्मांड सुन्दरी” का ख़िताब ने ही जीता है हाँ उसी ने “अफ्रीकन” जिसकी खूबसूरती शायद हम “काले” रंग से ज्यादा कभी कभी “मन” से काले लोग नहीं पहचान सकते,
कोई भी रंग आपकी बुद्धि,आपके व्यक्तिव,आपके आत्मविश्वास आपकी सफलता का निर्धारण करने की ताकत नहीं रखता…
उम्मीद है की आज इस रंग की जीत बहुत से लोगों ने अपना आत्मसम्मान जीता होगा,कुछ उम्मीदें जीती होंगी,वो कदम जो बढ़ने से रोके होंगे उन्हें उन्हें अब दौड़ने ने लिये तैयार करेंगे,
खूब सारी बधाई Zozibini Tunzi
???
ये कामयाबी का रंगरूप यूँ ही निखरता रहे?????
“इंदु रिंकी वर्मा”©