देख कबीरा रोया
मैंने पूछा-
“जॉब पर आपका
क्या कहना है?”
उसने सुना-
“हिजाब पर आपका
क्या कहना है?”
मैंने पूछा-
“इलाज़ पर आपका
क्या कहना है?”
उसने सुना-
“नमाज़ पर आपका
क्या कहना है?”
मैंने पूछा-
“किताब पर आपका
क्या कहना है?
उसने सुना-
“रिवाज़ पर आपका
क्या कहना है?”
मैंने पूछा-
“समाज पर आपका
क्या कहना है?”
उसने सुना-
“इंतखाब पर आपका
क्या कहना है?”
Shekhar Chandra Mitra
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