देखो है ना मेरा वाला अलग
तुम कहती हो ना
कि मेरा वाला ऐसा नहीं है
वह सबसे अलग है
शायद तुम सच कहती हो
तुम्हारा वाला सच में अलग है
तुम्हे सहेजने को नया फ्रिज घर में लाता है
टुकड़े करने में उसका कलेजा नही मुंह को आता है
फिर सबको अलग-अलग जगहों की सैर कराता है
देखो है न श्रद्धा का आफताब अलग
वो प्रेमवश श्रद्धा को इक बार में जुदा नहीं कर पाता है
मन नहीं भरता उसका 16 बार चाकू मारने के बाद भी
फिर कुचलता है पत्थर से निष्प्राण हो जाने के बाद भी
निभाता है कसम कि नही छोड़ेगा तुम्हे मर जाने के बाद भी
देखो है ना साक्षी का साहिल अलग नहीं डरता जमाने से
रक्त रंजित कर देता है उसे भीड़ होने के बाद भी
जरा सा संदेह नैना को मृत्यु तक पहुंचाता है
अच्छे से जल सके, सुशील हर टुकड़े पर मक्खन लगाता है
जिस अग्नि को साक्षी मान तुम्हे बांध घर लाता है
उसी अग्नि में जलाने को तुम्हे तंदूर पास ले जाता है
देखो है ना सुशील अलग टुकड़ों मे जला कर दाह संस्कार किया जाता है