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21 May 2023 · 1 min read

देखो पानी बरसा

देखो पानी बरसा,
गुजरा इंतजार में अरसा।
बादल घुमड़े कर से पानी,
धरती की थाल में परसा।
पीहू पीहू बोले पपीहा,
सुनी ध्वनि न दरसा।
देखो पानी बरसा।
मुग्ध हुए भूतल के प्राणी,
शीतल हवा का सरसा।
कंठ हुए तर क्षुधा तृषित के,
अंतर्मन हैं हरषा।
चमके बिजली ऐसे जैसे,
चला रही हो फरसा।

रामनारायण कौरव

Language: Hindi
298 Views
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