देखो तो क्या कहर ढा रहा वेलेंटाइन डे
वेलेंटाइन डे है आ रहा वेलेंटाइन डे,
काश! मिले अब हूर,गा रहा वेलेंटाइन डे!
जन्म-जन्म की ले तन्हाई जिए जा रहे हम,
इसी से हमको नहीं भा रहा वेलेंटाइन डे!
गर्लफ्रेण्ड ले चार-चार वह बने हैं घनचक्कर,
देखो तो क्या कहर ढा रहा वेलेंटाइन डे!
इधर मिली न इक घरवाली,भटक रहे हैं हम-
कैसे कह दूँ मन में छा रहा वेलेंटाइन डे!
संस्कार में पले-बढ़े हम ‘सरस’ सत्य लेकिन,
धता हमें बतला के जा रहा वेलेंटाइन डे!
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)