देखो तुम ऐसे तो ना मुकर के जा पाओगे।
देखो तुम ऐसे तो ना मुकर के जा पाओगे।
वक्त नहीं हो जो यूँ आ करके गुज़र जाओगे।।1।।
दिक्कतों को मेरी तुम यूँ ना समझ पाओगे।
आएगी जब खुदपे तो तुम भी जान जाओगे।।2।।
मोहब्बत को मेरी तुम जो यूँ झुठला रहे हो।
मुझको दिए खतों को कैसे तुम झुठ लाओगे।।3।।
जब हाल ए बाग़ यूँ परिन्दों से तुम जानोगे।
तो तुम भी दरख्तों को ऐसे ना कट वाओगे।।4।।
जुगाड़ लगा के यूँ ही हर बार बच जाते हो।
हस्रे महशर में इस को तुम ना लगा पाओगे।।5।।
जुल्म हम पे जो तुम आज ऐसे कर रहे हो।
सुकूँ का एक पल यूँ तुम भी ना जी पाओगे।।6।।
जहां में यूँ ऐसी मोहब्बत कहीं ना पाओगे।
माँ की मोहब्बत को कभी ना भूल पाओगे।।7।।
मरने वाले से पूंछो ज़रा ज़िंदगी की कीमत।
फिर मैखाने में तुम भी ऐसे ना पीने जाओगे।।8।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ