देखो आसमान जमीन पर मिल रहा है,
देखो आसमान जमीन पर मिल रहा है,
दो गरीब पाक रूहों का संगम हो रहा है,
इससे ज्यादा एकता और क्या चाहिए सियासत को,
बाबा भोलेनाथ ख़्वाजा के घर मिल रहा है,
मंदिर मठ मूर्तियाँ सब पत्थर हो गए हैं,
मस्जिद की जमीन से भगवान निकल रहा है,
कुरान और गीता की आयतें सब एक हो गई है,
हर जुबान से ख़ुदा और बाबा निकल रहा है,
जुड़े हाथ खुल गए हैं खुले हाथ जुड़ गए हैं,
वजू का पानी शंकर की जटाओं से निकल रहा है,
देखो काशी और अजमेर में चमत्कार हो रहा है,
काबा और कैलाश का मिलन हो रहा है ।।