देखो आई तीज है आई
देखो आई तीज है आई
मेहंदी का रंग ले आई,
घर घेवर थाल सजे हैं
शिव-गौरा आरती गाई।
देखो आई तीज है आई…..
मेरे पिया हौले से बोले
आजा संग चढ़ें हिंडोले,
तेरा देख रूप सुहाना
मन हुआ मेरा दीवाना,
मत लाना सखी सहेली
चली आना तुम अकेली,
मौसम है बड़ा हरजाई
देखो आई तीज है आई।
देखो आई तीज है आई…..
रिमझिम बून्दें बरसाई
कारी बदरी घिर आई,
भीगी मोरी हरी चुनरिया
कैसे आऊँ तोरी अटरिया,
सासु बना रही पकवान
कैसे आऊँ मैं प्रिय प्राण,
दर्पण देख खुद शरमाई
देखो आई तीज है आई।
देखो आई तीज है आई…..
पीहर से आया सिंजारा
मैया ने प्रेम भिजवाया,
चुनरी, चूड़ी, बिंदिया संग
खिल उठा मेरा है अंग-अंग,
तू छुप-छुप मुझे निहारे
अँखियों से कुछ कह डाले,
साजन देख तुझे इतराई
देखो आई तीज है आई..
देखो आई तीज है आई
मेहंदी का रंग ले आई,
घर घेवर थाल सजे हैं
शिव-गौरा आरती गाई।
देखो आई तीज है आई।।
रचयिता–
डॉ नीरजा मेहता ‘कमलिनी’