देखी नहीं है कोई तुम सी, मैंने अभी तक
देखी नहीं है कोई तुम सी, मैंने अभी तक।
किये हो ऐसे नखरे हमसे, जिसने अभी तक।।
देखी नहीं है कोई तुम सी———————।।
छुपाई नहीं है ऐसे तो, किसी ने बात हमसे।
नहीं की किसी ने ऐसी देरी, हमसे अब तक।।
देखी नहीं है कोई तुम सी———————–।।
ऐसा नहीं कि तुम सी, कोई नहीं है और हसीन।
इतना अहम तो किसी ने, नहीं दिखाया अभी तक।।
देखी नहीं है कोई तुम सी———————-।।
होता है मतलब तो तुम, करती नहीं हो परदा।
शर्म नहीं आई तुमको, लेने में पैसा अभी तक।।
देखी नहीं है कोई तुम सी———————-।।
ऐसे तो हमने अभी तक, नहीं किसी को मनाया है।
बोला नहीं है किसी ने, झूठ इतना अभी तक।।
देखी नहीं है कोई तुम सी————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)