देखा है
तपती रातों में हमने मौसम को सर्द देखा है।
तुम्हारे दर्द में हमने हमारा दर्द देखा है।
बदलती दुनिया में हमने गिरगिट का शागिर्द देखा है
मौका फिराक लोगों को हमने होते बेपर्द देखा है।
जिनपर न चढ़ता था कभी मय का नशा
उनको नन्हीं खुशियों में होते हुए मद देखा है।
जो मेहनत से पूरा करते मकसद अपना
ऊंचाई छूते उनके कद को हमने देखा है।
जो करते थे रद्द उन्मुक्त उड़ानों को
हमने पिटती उनकी भद को देखा है।
नीलम शर्मा