देखा है सहरा और– समंदरों को भी…………………….
देखा है सहरा और– समंदरों को भी
इन नज़रों ने देखा है –उन नज़रों को भी
मोहब्बत करके —देखो मंज़रों को भी
नज़र अंदाज़ ना करना –मशवरों को भी
धूप हवा बरसातें— किस पर नहीं होती
देखा है मैनें टूटा —-पत्थरों को भी
मिले थे जिनसे -आदमी आम समझ के हम
वो छोड़ गए पीछे– बाज़ीगारों को भी
आजा के महफ़िल– तारों से सज़ा ली है
हसरत को पुकार ले और– ख़तरों को भी
तूफ़ां से बचकर—जायें तो कहाँ जायें
अक्सर मिलता है मौक़ा– खंडरों को भी
उल्फ़त को रोते —ख़ाली खोकले रिश्ते
हाये लग गये दीमक ‘सरु’- घरों को भी