देखा न किसी ने कल ये आज तो अच्छा है।
देखा न किसी ने कल ये आज तो अच्छा है।
अंजा़म खुदा जाने आगा़ज तो अच्छा है।।
रुतवा भी बढ़ाता है शुहरत भी दिलाता ये।
कांटों से भरा तो क्या अब ताज तो अच्छा है।।
हमराह मेरा गूँगा है बोल नहीं सकता।
सब राज़ इसे दे दूं हमराज़ तो अच्छा है।।
वो क़त्ल मुझे कर के अफसोस जताता अब।
कातिल का मेरे देखो अंदाज़ तो अच्छा है।।
ये इश्क़ बनाता है ये इश्क़ मिटाता भी।
ये सोज़ भी अच्छा है ये साज़ तो अच्छा है।।
अब्रू हैं कमाँ उसकी हैं तीर “अनीश” आँखें ।
महबूब हमारा तीरंदाज तो अच्छा है।।
@nish shah