देखकर वे मुझे…
देखकर वे मुझे मुस्कुराते रहे
इस तरह से मेरा दिल चुराते रहे
प्यार है ही नहीं वे बताते रहे
पर मुझे रात भर गुनगुनाते रहे
जाने अपनी कलाई पे क्या सोचकर
नाम लिखते रहे फिर मिटाते रहे
एक पल के लिए थी नज़र क्या मिली
एक दूजे को हम याद आते रहे
हम मुहब्बत भरी एक बरसात में
ख़्वाब में ही सही पर नहाते रहे
वे तो ‘आकाश’ आये न दर पे कभी
बेवजह लोग उँगली उठाते रहे
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 06/11/2021