देखभाल
देखभाल
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माँ ने अपनी
दुग्ध पिलाकर
पालन पोषण किया मुछे.
भिरभी क्यों लगाएं मैं ने
तलवार उनकी छाती पर.
हाथ पकड़ कर चलना सिखलाया…..
अच्छी बातें बताना सिखलाया.
चाँद दिखलाया
छील और गगन में.
खाना खिलाया चाँद दिखलाकर.
सतचरित्र बनवाना चाहा
सच्ची बातें बताना सिखालाया.
वीर पुरुषों की कहानियाँ
सुनाकर मुछे सुलाया रोज.
जब मैं बीमार पड़े तो
छोड़ दिया वो
खाना पीना.
खुद डॉक्टर बन गयी
वो नींद भी छोड़कर.
भिर भी मैं…..
घर से बाहर निकलते
समय भी खबर न
मिला माँ को
किधर ले जाती हैं उसको.
बताया मैं ने धीमी स्वरों में
माँ.. वहाँ… शरणालय
में तुम अकेली नहीं..
मिलेंगे कई
सहेलियों को.
अपने मन में माँ ने सोचा..
कितना प्यारा है मेरा बच्चा
पसंद नहीं उसको
मुछे अकेले छोड़ना.
क्या करू माँ
चलना पड़ेगा मुछे
बीवी,बाल बच्चोंके साथ.
अच्छा एजुकेशन देना है
बच्चों को
क्या सुविधा है
इस गांव में छोटी सी.
आहिस्ते पीछे मुड़कर
देखा माँ ने अपना घर
अघिरी बार
हाथ जोड़कर भिर
प्रार्थना किया वो
है भगवान रक्षा कीजिये
मेरे लाडले की…
और कोई नहीं है मुछे
उसके आलावा.
बेचारा वो क्या करेगा
करना पड़ेगा उसको ऐसा.
सब से बड़ा है ना उसको
भी अपना बाल बच्चे.