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22 Feb 2024 · 1 min read

दृष्टि

निर्मल गहरी शांत
आँखें तुम्हारी
आकृष्ट करती हैं मुझे
किंतु असमर्थ हो तुम
कि किनारों से आँखों के ही
एक कोमल दृष्टि दे दो मुझे

असमर्थता वास्तव में तुम्हारी नहीं
में अनभिज्ञ नहीं हूँ
मैं भिज्ञ हूँ कि कटाक्ष
तुम्हारे इस कृत्य की
प्रतीक्षा कर रहें हैं
कि कब तुम डालो
एक दृष्टि मुझ पर
फिर व्यंग और प्रताड़ना के
असुर आक्रमण करें तुम पर

मैं भिज्ञ हूँ
कि असमर्थता तुम्हारी नहीं
पर तुम उन्हें समर्थ नहीं करना चाहती
नहीं चाहती तुम
कि तुम्हारे अवयस्क प्रेम पर
वे अश्लीलता के हस्ताक्षर करें
या तुम्हारे प्रेम की परिपक्वता
को अबोध कह अपमानित करें

प्रिय
कितना अच्छा होता
मैं अनभिज्ञ होता
तुम अनभिज्ञ होती
कम से कम वह एक
कोमल दृष्टि तो सुलभ होती

अजय मिश्र

Language: Hindi
1 Like · 113 Views

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