Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2018 · 1 min read

दृष्टिकोण

भगवान बुद्ध अक्सर अपने शिष्यों को शिक्षा प्रदान किया करते थे। एक दिन प्रातः काल बहुत से भिक्षुक उनका प्रवचन सुनने के लिए बैठे थे। बुद्ध समय पर सभा में पहुंचे, पर आज शिष्य उन्हें देखकर चकित थे क्योंकि आज पहली बार वे अपने हाथ में कुछ लेकर आए थे। करीब आने पर शिष्यों ने देखा कि उनके हाथ में एक रस्सी थी। बुद्ध ने आसन ग्रहण किया और बिना किसी से कुछ कहे वे रस्सी में गाँठ बांधने लगे।

वहाँ उपस्थित सभी लोग यह देख सोच रहे थे कि अब बुद्ध आगे क्या करेंगे; तभी बुद्ध ने सभी से एक प्रश्न किया, मैंने इस रस्सी में तीन गांठें लगा दी हैं, अब मैं आपसे ये जानना चाहता हूँ कि क्या यह वही रस्सी है, जो गाँठें लगाने से पूर्व थी? मुश्किलों से उबरने के लिए बुद्धि और वीरता का सहारा लेना चाहिए, पशु-बलि का नहीं!
एक शिष्य ने उत्तर में कहा, गुरूजी इसका उत्तर देना थोड़ा कठिन है,

कहानी का सार????

ये वास्तव में हमारे देखने के तरीके पर निर्भर है। एक दृष्टिकोण से देखें तो रस्सी वही है, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है।

Language: Hindi
221 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दीप जलाकर अंतर्मन का, दीपावली मनाओ तुम।
दीप जलाकर अंतर्मन का, दीपावली मनाओ तुम।
आर.एस. 'प्रीतम'
मेरी जिंदगी
मेरी जिंदगी
ओनिका सेतिया 'अनु '
गति साँसों की धीमी हुई, पर इंतज़ार की आस ना जाती है।
गति साँसों की धीमी हुई, पर इंतज़ार की आस ना जाती है।
Manisha Manjari
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नया युग
नया युग
Anil chobisa
3347.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3347.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Phool gufran
कौन किसके बिन अधूरा है
कौन किसके बिन अधूरा है
Ram Krishan Rastogi
कर्म ही है श्रेष्ठ
कर्म ही है श्रेष्ठ
Sandeep Pande
💐💞💐
💐💞💐
शेखर सिंह
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जय जय हिन्दी
जय जय हिन्दी
gurudeenverma198
अहमियत इसको
अहमियत इसको
Dr fauzia Naseem shad
कान्हा मन किससे कहे, अपने ग़म की बात ।
कान्हा मन किससे कहे, अपने ग़म की बात ।
Suryakant Dwivedi
*छंद--भुजंग प्रयात
*छंद--भुजंग प्रयात
Poonam gupta
जितने धैर्यता, सहनशीलता और दृढ़ता के साथ संकल्पित संघ के स्व
जितने धैर्यता, सहनशीलता और दृढ़ता के साथ संकल्पित संघ के स्व
जय लगन कुमार हैप्पी
जब भी दिल का
जब भी दिल का
Neelam Sharma
शैलजा छंद
शैलजा छंद
Subhash Singhai
प्यार भरा इतवार
प्यार भरा इतवार
Manju Singh
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सड़क
सड़क
SHAMA PARVEEN
मैं तो महज पहचान हूँ
मैं तो महज पहचान हूँ
VINOD CHAUHAN
पवित्र मन
पवित्र मन
RAKESH RAKESH
कहते हैं मृत्यु ही एक तय सत्य है,
कहते हैं मृत्यु ही एक तय सत्य है,
पूर्वार्थ
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का तीसरा वर्ष (1961 - 62 )*
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का तीसरा वर्ष (1961 - 62 )*
Ravi Prakash
प्रतिशोध
प्रतिशोध
Shyam Sundar Subramanian
भगतसिंह
भगतसिंह
Shekhar Chandra Mitra
प्रेम 💌💌💕♥️
प्रेम 💌💌💕♥️
डॉ० रोहित कौशिक
बसंत पंचमी
बसंत पंचमी
Mukesh Kumar Sonkar
💐प्रेम कौतुक-378💐
💐प्रेम कौतुक-378💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...