दूसरा बच्चा
कार गति से जा रही थी ।
रामलाल अपनी बेटी संगीता को एमबीए में प्रवेश दिलवाने लखनऊ ले जा रहे थे। अचानक कार हिचकोले लेने लगी रामलाल ने किसी तरह कार रोकी और ऊतर कर देखा , कार का आगे का पहिया पंचर हो गया था । रामलाल परेशान से ईधर ऊधर देखने लगे , कोई मदद के लिए नहीं रूक रहा था । रामलाल की कार में स्टेपनी तो थी पर पहिया बदलने की ताकत उनमें नहीं थी ।
आखिर संगीता ने आगे आ कर पिताजी से कहा :
” अब यहाँ जंगल में मदद के लिए कोई नहीँ मिलेगा दोपहर गुज़रती जा रही है , आप मुझे बताते जाए कैसे स्टेपनी बदलना
है , मै बदल लूंगी।
अब रामलाल ने डिक्की से स्टेपनी खुलवा कर संगीता से निकलवाई , पहिये के पास जेक लगवाया , पहिया खुलवाया , फिर पहिया बदलवाया और पंचर पहिया डिक्की में रखना कर , कार आगे बढ़ाई ।
आज रामलाल की निगाह में संगीता किसी बेटे से कम नहीं थी । उसे आज उसकी पत्नी रमा और खुद के निर्णय पर गर्व हो रहा था :,
“जब संगीता के बाद दूसरे बच्चे की उन्होने चाह नही की ।”