दूर…
मीलों दूर हैं हम
ना जाने कहाँ हो तुम!
दिल लेकिन मेरा पास तुम्हारे
इतना, कि धड़कनें भी तुम्हारी
सुन सकती हैं मेरी धड़कनें,
साँसें मेरी तुम्हारे साँसों की गर्माहट से
तप सी जाती हैं,
इतने पास हो तुम
कि मानो कभी दूर ही ना थे हम,
मुहब्बत के रेशमी धागे से बंधे।
मुझे मुहब्बत थी तब भी तुमसे,
है आज भी मुहब्बत तुमसे,
कितना?
समुन्दर में पानी हो जितना,
ले चलो मुझे उस बीते कल मे,
प्यार भरा था जब हर पल मे,
आँखों मे तुम्हारे डूब जाती थी,
रसीली बातों मे तुम्हारे खो जाती थी,
जब तुम और हम
चलते थे साथ साथ।
कब, कहां, कैसे,
प्यार मे इन सबके मायने नही होते,
बस सिर्फ प्यार होता है,
इक मीठा सा करार होता है,
देखो दिख रही है तुम्हारी आँखें मुझे,
डूब रही हूँ उनमें मै, प्यार के सागर में,
महसूस करती हूँ तुम्हे मेरे आसपास,
हो नही तुम इधर मगर, फिर भी बिल्कुल पास,
नही हो सकते तुम दूर मुझसे,
साथ रहोगे हरपल तुम, मुझमे ही सिमटे।।
©मधुमिता