दूर रहकर तुमसे जिंदगी सजा सी लगती है
दूर रहकर तुमसे जिंदगी सजा सी लगती है,
ये सांसे भी जैसे मुझसे नाराज़ सी लगती है।
अगर उम्मीद-ए- वफा करू तो किससे करू,
मुझको तो मेरी जिंदगी बेवफ़ा सी लगती है।।
तुमसे दूर रहकर जिंदगी,जिंदगी तो नही ,
तुम मेरे पास नही, तो मेरे पास कुछ नही।
दिल में रहकर भी कही दूर तुम चले जाते हो,
ऐसी जिंदगी को जिंदगी कहना ठीक नहीं।।
बीते दिनों की यादें,भूली बातो की तरह,
चांदनी रातें भी है,अंधेरी रातों की तरह।
तुमसे उम्मीद थी,जिंदगी भर साथ दोगे,
तुम भी बदल गए,मेरे हालत की तरह।।
तुम्हारा साथ होता,तो सभी का साथ होता,
जो अपने नही थे,उनका भी सदा साथ होता।
तुम अपने होकर भी,रूठ कर दूर चले गए,
तुम रहते मेरे पास,जिंदगी में सब ठीक होता।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम