दूर देश
चल कबीरा ओही देश
चल फकीरा ओही देश…
जाहां ना कवनो भय
जाहां ना कवनो क्लेश…
ऊंच-नीच रस्ता इहां
डेगे-डेगे लागे ठेस…
घूमेलें बटमार बस
धरके जोगी के भेस…
ऊ नील गगन के हंसा
का देला समझ संदेश…
तोड़ के मोह सगरी
छोड़ के अब परदेश…
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