दूर करो दवाइयां
दिया प्रकृति ने
शुद्ध वायु जल
वातावरण
अपने स्वार्थ
इच्छा पूर्ति
के लिये
किया इन्सान ने
इसे प्रदुषित
काटे
ज॔गल
किया
झील नदी
तालाबों पर
अतिक्रमण
कांक्रीट के
बनाये महल
भूल गये
शुद्ध पर्यावरण
तभी तो
जीता है
आज दवाओं के सहारे
आ रही है
बीमारियों की बाढ़
कोरोना से जूझ रहा
सारा विश्व
हो रही है
औषधियों की खोज
रहते गर
संयम से स्वस्थ
तो न होता दवाओं पर
खर्च
खाओ पियो
अच्छा
योग करो
रखो अच्छी
विचारधारा
रहोगे नहीं
दवाओं के भरोसे
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल