दूरी
लघुकथा
दूरी
*अनिल शूर आज़ाद
जंगल के बीच से निकलती सड़क के कारण जंगल की शान्ति भंग हो चुकी थी। दो भागों में बंट गये वन्य-जीव अब..शाम ढ़ले ही कहीं सड़क के दूसरी तरफ़ जा पाते थे।
ऐसे ही एक शाम, एक हिरणी अपने बच्चे के साथ सड़क की ओर बढ़ी.. मगर, तुरन्त ही.. एक लारी को आते देखकर वापस हो ली। शावक ने प्रश्नात्मक निगाहों से अपनी मां की ओर देखा।
“हां बेटे..इंसान है ही ऐसा जानवर..इससे दूरी ही भली!” यह सुनकर बेटे ने समझदारी से सर हिला दिया।