दूरियां
तू पास है किसी और के
तु मुझसे दूर है
कुछ खामोशी है
कुछ खामोश है
तुझे समझाऊं कैसे
समझना तुझे है
बातों का यह रिश्ता नहीं
रिश्ता यह गहरा है
हंसते हैं चेहरे रोज
आंखें भी कुछ कहती है
फर्क बस इतना है
शायद तुझे दिखते चेहरे हैं
बातों की भी क्या बात है
कहते हर चेहरे है
बस सुनना है जिससे
खामोश वह चेहरे है
डर भी क्या चीज है
डरlता हर रोज है
दूरियों के एहसास को
बढ़ाता हर रोज है