***दूरियां बढ़ती गई*** – कविता
***दूरियां बढ़तीगई***
पले बढे साथ में बचपन बीत चला।
उम्र बड़ी आगे बड़ी,जीवन चलता चला।।
।। दूरियां बढ़ती गई।।
साथ खेलना खाना पीना तब अच्छा था।
जब बच्चा था अबोध था पर सच्चा था।।
“”” दूरियां बढ़ती गई”””
एक एक कर साथ सभी का छूटा।
बदले दिन कैसे,रिश्ता अपनेपन का टूटा।।
##दूरियां बढ़ती गई##
क्यो होता है आखिर ऐसा जीवन में।
खो जाता “”अनुनय”” हर कोई उधेड़बुन में।।
@@दूरियां बढ़ती गई @@
राजेश व्यास अनुनय