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17 Jun 2018 · 1 min read

दूरियां कुछ भी नही

ग़ज़ल-
तेरे मेरे बीच में यह,दूरियां कुछ भी नहीं,
चाह हो मिलने की तो यह, फासला कुछ भी नहीं।
इन निग़ाहों में बसी है, सिर्फ तेरी ही सुरत,
दूर हो तुम मुझसे फिर यह,आसरा कुछ भी नही।
पीर सी उठती युं दिल में, दर्द बेकाबू सा है,
दर्दे दिल की तुमसे बढ़कर, अब दवा कुछ भी नहीं।
कट नही सकती ज़रा भी, जिंदगी तेरे बिना,
बीते हर पल संग तेरे ,बढ़कर दया कुछ भी नहीं।
जिंदगी तेरी अमानत, इसपे हक है आपका,
हाथ में हो हाथ तेरा, फिर दुआ कुछ भी नहीं।
By:Dr Swati Gupta

2 Likes · 1 Comment · 231 Views
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