दूरभाष ने बढ़ाई “दूरियां”
दूरभाष ने बढ़ाई दूरियां
जब से मोबाइल फोन ,
चलन में आया।
राम राम जी भूल कर,
हेलो हाय हो गया।।
जेब में है कांटेक्ट लिस्ट,
फिर भी बढ़ी दूरियां।
इससे बेहतर थी,
बीते समय की चिट्ठियां।।
कई दिनों में लिखते थे,
महीनों में पहुंचती थी।
फिर भी रिश्तो को वह,
प्यार लफ्ज़ों में बांधती थी।।
उस चिट्ठी के एक एक शब्द में,
आदर सम्मान प्यार झलकता था।
आदरणीय और चरण स्पर्श,
शब्दों से दिल भावविभोर हो जाता था।।
हेलो हाय के चक्कर ने,
रिश्तो को हिला कर रख दिया।
कहने को तो पास है हम,
चाहत का सिलसिला भूला के रख दिया।।
कहे पा”रस” मिलो ना चाहे बरसों तक, लेकिन जब भी मिलो तो मिलो दिल न भर जाए जब तक