*दूरंदेशी*
डा . अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
एक अबोध बालक
* ⭕️दू रंदेशी⭕️
विचारों के आकार नित्
जगाते संवाद अनोखे
किस को बताऊँ
किस से छुपाऊँ
जागते नयनों के
ये सपन अनूठे
तुम से छुप पाना
है अब मुश्किल
तुम से छुपा कर
के क्या लेना
सखी तुम्ही हो
राग द्वेष का मेरे
एक अनोखा ख्वाव अधुरा