दूभर काँधे चार
कोरोना ने कर दिया, ..ऐसा बंटाधार ।
अर्थी को भी हो गये,दूभर काँधे चार ।।
वक्त वक्त की बात है,चले वक्त जब चाल ।
रहते थे गतिशील जो, बैठे आज निढाल।।
रमेश शर्मा.
कोरोना ने कर दिया, ..ऐसा बंटाधार ।
अर्थी को भी हो गये,दूभर काँधे चार ।।
वक्त वक्त की बात है,चले वक्त जब चाल ।
रहते थे गतिशील जो, बैठे आज निढाल।।
रमेश शर्मा.