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3 Dec 2021 · 3 min read

दूध की धुली चयन प्रक्रिया (हास्य व्यंग्य)

दूध की धुली चयन प्रक्रिया (हास्य व्यंग्य)
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मंत्री जी दूध के धुले थे। सभी मंत्री दूध के धुले होते हैं लेकिन हम जिन मंत्री जी की बात कर रहे हैं वह एक बाल्टी के स्थान पर दो बाल्टी दूध से प्रतिदिन स्नान करते थे। अतः वह विशेष रूप से दूध के धुले हुए कहलाएंगे । जब मंत्री जी दूध के धुले हैं तो स्पष्ट है कि उनके उच्च अधिकारी भी दूध के धुले ही थे अर्थात वह भी एक बाल्टी दूध से प्रतिदिन स्नान करते थे । दूध से स्नान करने में समय ज्यादा लगता है । आम आदमी पानी की बाल्टी से नहा लेता है । इसमें दो – चार मिनट लगते हैं लेकिन दूध से स्नान करने में कम से कम तीन घंटे लगते हैं। इसीलिए जो लोग दूध के नहाए हुए होते हैं, उनको जब भी फोन करो अथवा उनके दरवाजे की कुंडी खटखटाओ तो उत्तर यही मिलता है कि साहब बाथरूम में हैं अर्थात दूध से स्नान कर रहे हैं ।
खैर ,विषय सरकारी नौकरी में नियुक्ति की चयन प्रक्रिया का है । मंत्री जी की हार्दिक इच्छा थी कि चयन प्रक्रिया दूध की धुली हुई हो अर्थात पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हो । अधिकारियों के सामने उन्होंने अपना विचार रखा कि सरकारी भर्ती में चयन प्रक्रिया पारदर्शी कैसे हो ?
सर्वप्रथम मंत्री जी ने लिखित परीक्षा का विचार प्रस्तुत किया। तुरंत अधिकारियों ने आपत्ति लगा दी । कहने लगे “आजकल पेपर लीक होने का मौसम चल रहा है । ऐसे में लिखित परीक्षा आयोजित करने का जोखिम उठाना ठीक नहीं है । इसके अलावा लिखित परीक्षा में इस बात की भी संभावना रहती है कि अभ्यर्थी के स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति आकर पेपर दे जाए और मामला गड़बड़ी युक्त हो जाए । सॉल्वर गैंग चारों तरफ घूम रहे हैं ।”
अधिकारियों की बात मंत्री जी के समझ में आ गई । फिर पूछने लगे कि अब क्या किया जाए ?
अधिकारियों ने कहा ” साहब ! हम लोग साक्षात्कार के माध्यम से अगर सरकारी नौकरी में नियुक्तियां करें तो इसमें गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं हो सकती । अभ्यर्थी हमारे अधिकारियों के सामने बैठा होगा और हमारे अधिकारी उस से सामने से प्रश्न करेंगे । इसमें धांधली नहीं हो सकती ।”
मंत्री जी कुछ सोचने लगे तो अधिकारी समझ गए कि मंत्री जी के मन में क्या प्रश्न चल रहा है । तुरंत उन्होंने उत्तर दिया “सर ! घबराने की कोई बात नहीं है । आज हमारे पास दूध के धुले हुए अधिकारी प्रत्येक तहसील स्तर पर बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं। दूध से नहाने की प्रवृत्ति चारों तरफ फैली हुई है । साक्षात्कार के द्वारा निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया से चयन करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी । हमारे दूध से धुले हुए अधिकारी सारी स्थिति संभाल लेंगे ।”
अब पुनः सोचने की बारी मंत्री जी की थी । कहने लगे “क्या सभी अधिकारी अब दो – दो बाल्टी दूध से नहाते हैं ?”
“नहीं सर ! केवल एक बाल्टी दूध से नहाते हैं । दो बाल्टी दूध से तो केवल आप ही नहा सकते हैं ।”
“लेकिन एक बाल्टी दूध भी तो बहुत महंगा है ! कहां से आता है ?”
“वहीं से जहां से आपका दो बाल्टी दूध आता है ।”
सुनकर मंत्री जी झेंप गए । उन्होंने फिर दूध के बारे में कोई सवाल नहीं किया । मंत्री जी का अगला प्रश्न था-” साक्षात्कार में क्या पूछोगे ?”
अधिकारियों ने उन्हें समस्त योजना से अवगत कराया । कहा ” साक्षात्कार बहुत उच्च कोटि का रहेगा । हम इसी में प्रैक्टिकल परीक्षा भी ले लेंगे।”
” प्रैक्टिकल परीक्षा कैसी ? “-मंत्री जी का अगला सवाल था ।
“सर ! प्रैक्टिकल परीक्षा बहुत जरूरी है । हम अभ्यर्थी के सामने सेब ,केला, अमरूद और अनार रखेंगे तथा उससे पूछेंगे कि चारों फलों के नाम बताओ । जो जितनी जल्दी जवाब दे देगा वह उतना ही कार्यदक्ष माना जाएगा ।”
मंत्री जी सुनकर खुश हो गए । कहने लगे “यह तो बहुत अच्छी प्रैक्टिकल परीक्षा होगी । साक्षात्कार में क्या पूछोगे ?”
अधिकारियों ने कहा “प्रत्येक अभ्यर्थी से उसका नाम ,माता-पिता का नाम ,जिले, तहसील का नाम, घर का पता पूछा जाएगा । ऐसा करते समय हम अभ्यर्थी की बॉडी-लैंग्वेज को नोट करेंगे तथा उसके आधार पर साक्षात्कार के अंक दिए जाएंगे ।”
मंत्री जी अधिकारियों की बात से खुश हुए। कहने लगे “ठीक है ! दूध के धुले अफसरों की तलाश करो और उन्हें इंटरव्यू कमेटी में शामिल करके साक्षात्कार तथा प्रैक्टिकल परीक्षा पर आधारित दूध की धुली चयन प्रक्रिया संपन्न की जाए ।”
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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