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22 Nov 2021 · 1 min read

दुष्यंत कुमार के शिष्य

हमें क्या करना था
हम क्या कर रहे हैं
जेहनी तौर पर
सदियों से सड़ रहे हैं…
(१)
लड़ना था देश की
ग़रीबी के ख़िलाफ़
मज़हब के नाम पर
आपस में लड़ रहे हैं…
(२)
यहां किसी पर कोई
फ़र्क ही नहीं पड़ता
कीड़े-मकोड़ों की तरह
लोग मर रहे हैं…
(३)
राजनेता देश को
खोखला करके
काला धन विदेशी
बैंकों में भर रहे हैं…
(४)
जंगल के पेड़ों से
फूलों के बजाए
अबके बरस केवल
शरारे झर रहे हैं…
‌ (५)
ख़ुद को एक दानिश्वर
कहते हुए आज
उफ्फ-हम तो मारे
शर्म के गड़ रहे हैं…
(६)
धर्म और संस्कृति
के नाम पर
कैसे-कैसे लोग
हमारे गले पड़ रहे हैं…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#अवामीशायरी #इंकलाबीशायरी
#चुनावीशायरी #सियासीशायरी

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