दुश्वारियां
मासूम चेहरे पर हो
जब मुस्कान
खिलने गले फूल
महके क्यारियाँ
मिले जब हक
बराबरी का
आसमां छूए
ये नारियाँ
अब गिला शिकवा
काहे का है
मिट गयी जब
दुश्वारियां
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल
मासूम चेहरे पर हो
जब मुस्कान
खिलने गले फूल
महके क्यारियाँ
मिले जब हक
बराबरी का
आसमां छूए
ये नारियाँ
अब गिला शिकवा
काहे का है
मिट गयी जब
दुश्वारियां
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल