दुश्मन भी याद करते हैं और दोस्त भी
दुश्मन भी याद करते हैं और दोस्त भी
दोनों की मुहब्बत में मसले का फर्क है
कोई इसतरह खफा हैं कि कुछ भी नहीं कहता ,
कोई इसतरह फिदा हैं कि कुछ भी नहीं कहता।
एक मंजिल पे पहुँच के क्या बैठा जाये ।
सफर का लुत्फ कहता है आगे चला जाये ।