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27 Apr 2021 · 1 min read

दुश्मनों को जलाते रहे

बुरे वक्त में मुस्कुराते रहे हैं
सदा दुश्मनों को जलाते रहे हैं

वह हमको हमेशा सताते रहे हैं
मगर हम खुशी से निभाते रहे हैं

मुकम्मल हुआ है सफर यूं हमारा
कदम दलदलो में बढ़ाते रहे हैं

उसी ने किया तीरगी के हवाले
सदा मांग जिसकी सजाते रहे हैं

खटकते रहे हैं सभी की नजर में
सही राह जो भी दिखाते रहे हैं

उन्हीं को ही गद्दार माना गया है
वतन पर जो हस्ती लुटाते रहे हैं

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