दुश्मनों को जलाते रहे
बुरे वक्त में मुस्कुराते रहे हैं
सदा दुश्मनों को जलाते रहे हैं
वह हमको हमेशा सताते रहे हैं
मगर हम खुशी से निभाते रहे हैं
मुकम्मल हुआ है सफर यूं हमारा
कदम दलदलो में बढ़ाते रहे हैं
उसी ने किया तीरगी के हवाले
सदा मांग जिसकी सजाते रहे हैं
खटकते रहे हैं सभी की नजर में
सही राह जो भी दिखाते रहे हैं
उन्हीं को ही गद्दार माना गया है
वतन पर जो हस्ती लुटाते रहे हैं