दुविधा
बता गये हैं संत महात्मा
असमंजस का क्या अंजाम।
दुविधा में दोनों ही जाते
माया मिलती और न राम।।
यदि चाहते हैं हम कि सदा
पक्ष में हो हर परिस्थिति।
तो रहें ऊहापोह से दूर
दुविधा की न रखें स्थिति।।
दृढ़ निश्चय दृढ़ इच्छा शक्ति
और अडिग जो रखते लक्ष्य।
दृढ़ संकल्प के बल पर वे
उनकी सफलता है निश्चय।।
दुविधा सदा ढहा देती है
बड़े-बड़े सपनों के महल।
यदि चाहत कामयाबी की
थामो निश्चितता का आँचल।।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©