मदमती
#दिनांक:- 4/8/2023
#विषय:- चित्र आधारित सृजन
#शीर्षक:- मदमाती
आओ मनोरमा, आओ गीता,
चलो झूला झूलते है सीता !
आ गया मन का भावन,
हरियाली भरा रंगीला सावन !
कजरी झूम-झूम गायेंगे,
सज-धज कर पिया का मन लुभायेंगे !
झूम-झूम मेघा रानी आती जाती,
प्रेम भर बूँदों से, कोमल तन को भिगाती !
रोम-रोम पुलकित, हर कोना-कोना सुशोभित,
उर आनन्दित, बाँहों में घेर रखा है मनमीत !
दोनो ओर प्रेम पल रहा है सखी
पतंग भी जल रहा, हाँ! दीपक भी जल रहा है सखी….!
बैन सुरीली, कोयल सी गाऊँ,
पिया के प्रीत में कौर बन जाऊँ,
सुन सखी पिया मन भाये कजरी,
सारी रतिया झूम-झूम कजरी गाऊँ,
पिया संगम से और निखर जाऊँ,
सावन माह में मदमाती बन जाऊँ ।
रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिक सुरक्षित है |
प्रतिभा पाण्डेय”प्रति” चेन्नई