दुल्हन
डोली में बैठी हुई दुल्हन
सुन्दर और सलोनी दुल्हन
ख्वाबों में खोई हुई दुल्हन
सजरी और संवरी दुल्हन
बैठी बैठी सोचे दुल्हन
ठोस सोच में सोचे दुल्हन
निजघर को छोड़े दुल्हन
सैंया घर को जाती दुल्हन
कैसे होंगे मेरे दुल्हे राजा
बजाएंगे जो प्रेम का बाजा
कैसी होगी सूरत उनकी
कद काठी मूरत उनकी
वाणी में कुछ मीठा होगा
स्वभाव क्या रसीला होगा
घर में बाकी कैसे होंगे
मेलजोल मे प्रेमिल होंगे
रिश्ते नाती मैली जोली
कैसी अगली होगी टोली
पीछला मौसम छोड चुकी थी
अगले बारे सोच रही थी
कुछ वो सहमी सहमी थी
थोड़ी बहुत वो वहमी थी
प्रेममय स्वप्निल में खो रही
पिया मिलन व्याकुल हो रही
सोच सोच मे सोचते सोचते
पिया द्वार घर दर्शन हो गए
रश्म रिवाजों के दौर चले
देवर भी गोद चढाई चढै
पूर्ण हो गए रश्म रिवाज
भाभी ने लगाई आवाज
आखिर वो पल आ गए
पिया जी अन्दर आ गए
दिल की धडकनें तेज थी
बिछी सगनो की सेज थी
लज्जाई और शरमाई दुल्हन
सहमी और घबराई दुल्हन
उम्मीद से कुछ हटकर हुआ
पिया जी एकदम धड़ाम गिरा
वो खूब नशे में चूर चूर थे
दुल्हन के सपने लीरो लीर थे
वो गहरी नींद में सो गए थे
अरमान रफूचक्कर हो गए थे
हैरान और परेशान थी दुल्हन
किस्मत पर पछता रही थी दुल्हन
सुखविंद्र सिंह मनसीरत