‘’ दुर तक कोई अवाज नहीं ‘’
कोई नही ‘’
उसके जाने के बाद जीने का सबब पा ना सके,जो मुसकराते थे हमबात बात पर उस हंसी को दुबारा अपने घर बुला ना सके , लोगो नेसाथ छोड़ दिया मेरा और बेखुदी का इल्जाम दिया ,कि रोए हालातपे छुप छुप के हम पर कोई इल्जाम उन पर लगा ना सके ।
‘’ दुर तक कोई अवाज नहीं ‘’
जानती हुं आज कोई मेरे साथ नही
क्यो दुर तक देता कोई अवाज नही
ये उसकि याद ने हालत कर दी मेरी
वरना इस तरह रहना मेरा अन्दाज नही
वक्त ने ढाए सितम कुछ इस तरहा
आख खुली तो शाम ढल चुकी थी,
हुआ कब सवेरा कुछ याद ही नह।
थका दिया जिन्दगी ने,तो सोचा थोड़ा सुस्ता लूँ ।
की कब उठ जाए जिन्दगी का कारवाँ पता नही
कि कब आए थे तेरे जहाँ मे, मुझे याद नहीं|
दूर दूर तक फ़ैला अँधेरा , कही रौशनी नहीं हैं,
कब बीता दिन और अँधेरा कब हुआ, मुझे याद नहीं|
लोग कहते है इश्क ने बर्बाद किया मुझे
मै तो अब भी कहती हुं, मुझे कुछ भी याद नहीं,।
लोग तो कहेंगे, उनके पास को काज नहीं,
मै सही हुं ,इसके सिवा कुछ याद नही।
दिन भी कट जायेंगे भरोसा हैं मुझे,
जिसके बाद सुबह न हो ऐसी कोई रात नहीं,।
मै जानती हुं ,कोई मेरे साथ नही
पर सच कहती हुं मै किसी से नाराज़ नहीं|
मिशा