दुर्व्यसन
जुआँ-सट्टा-दुर्व्यसन लक्षण,
पैसा-प्रतिष्ठा-स्वजीवन भक्षण।
ना इनसे हो परिवार रक्षण,
‘मयंक’ त्याग दुर्व्यसन तत्क्षण।
पढ़-लिखकर बन साक्षर,
त्याग कुलक्षण, ज्ञान प्राप्त कर |
सुख-आनंदालय लहराकर,
परिवार में सुध्यान व्याप्त कर |
दुर्व्यसन त्यागकर जिस दिन,
‘मयंक’ ज्ञान प्राप्त कर जाओगे|
प्यार और पैसा, प्राण-प्रतिष्ठा,
सहज प्राप्त कर पाओगे |
✍के.आर.परमाल “मयंक”