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1 Apr 2022 · 1 min read

दुर्मिल सवैया

🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
🦚
( दुर्मिल सवैया )
०००
घनश्याम सुनो ! कलियाँ खिलतीं, भँवरे उनको लखने लगते ।
विष बाण समान बुरी नजरें, उभरी कलियाँ तकने लगते ।।
झुक जाँय हरी ! नजरें सबकी, लख कर्म बुरे दुखने लगते ।
करिये कुछ दृश्य यहाँ बदलें, नरवीर यहाँ सपने लगते ।।

कमला ! तुमसे विनती इतनी हर नारि यहाँ अब वीर बने ।
जिनके मन में न विकार पलें सुत सुंदर से हर नारि जने ।।
रणधीर जनें तकदीर लिखें हिचकें न चबा मुख लौह चने ।
बन जाँय यहाँ हर नारि शिवा कर की फिर से तलवार तने ।।

राधे…राधे…!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***
🌺🌺🌺

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 193 Views
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